Thursday, January 19, 2012

Humare Shastri ji


भारत के तीसरे और दूसरे स्थायी प्रधानमंत्री थे । वह 1963-1965 के बीच भारत के प्रधान मन्त्री थे। उनका जन्म मुगलसराय, उत्तर प्रदेश मे हुआ था।
लालबहादुर शास्त्री का जन्म 1904 में मुगलसराय, उत्तर प्रदेश में लाल बहादुर श्रीवास्तव के रुप में हुआ था। उनके पिता शारदा प्रसाद एक गरीब शिक्षक थे, जो बाद में राजस्व कार्यालय में लिपिक (क्लर्क) बने।
भारत की स्वतंत्रता के पश्चात शास्त्रीजी को उत्तर प्रदेश के संसदीय सचिव के रुप में नियुक्त किया गया था। वो गोविंद बल्लभ पंत के मुख्यमंत्री के कार्यकाल में प्रहरी एवं यातायात मंत्री बने। यातायात मंत्री के समय में उन्होनें प्रथम बार किसी महिला को संवाहक (कंडक्टर) के पद में नियुक्त किया। प्रहरी विभाग के मंत्री होने के बाद उन्होने भीड़ को नियंत्रण में रखने के लिए लाठी के जगह पानी की बौछार का प्रयोग प्रारंभ कराया। 1951 में, जवाहर लाल नेहरु के नेतृत्व मे वह अखिल भारत काँग्रेस कमेटी के महासचिव नियुक्त किये गये। उन्होने 1952, 1957 व 1962 के चुनावों मे कांग्रेस पार्टी को भारी बहुमत से जिताने के लिए बहुत परिश्रम किया।
जवाहरलाल नेहरू का उनके प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान 27 मई, 1964 को देहावसान हो जाने के बाद, शास्त्री जी ने 9 जुन 1964 को प्रधान मंत्री का पद भार ग्रहण किया।

उनकी शिक्षा हरिशचंद्र उच्च विद्यालय और काशी विद्यापीठ में हुई थी। यहीं से उन्हें "शास्त्री" की उपाधि भी मिली जो उनके नाम के साथ जुड़ी रही।

अपने पिता मिर्ज़ापुर के श्री शारदा प्रसाद और अपनी माता श्रीमती रामदुलारी देवी के तीन पुत्रो में से वे दूसरे थे। शास्त्रीजी की दो बहनें भी थीं। शास्त्रीजी के शैशव मे ही उनके पिता का निधन हो गया। 1928 में उनका विवाह श्री गणेशप्रसाद की पुत्री ललितादेवी से हुआ और उनके छ: संतान हुई।
स्नातक की शिक्षा समाप्त करने के पश्चात वो भारत सेवक संघ से जुड़ गये और देशसेवा का व्रत लेते हुये यहीं से अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत की। शास्त्रीजी विशुद्ध गाँधीवादी थे जो सारा जीवन सादगी से रहे और गरीबों की सेवा में अपनी पूरी जिंदगी को समर्पित किया। भारतीय स्वाधीनता संग्राम के सभी महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में उनकी भागीदारी रही, और जेलों मे रहना पड़ा जिसमें 1921 का असहयोग आंदोलन और 1941 का सत्याग्रह आंदोलन सबसे प्रमुख है। उनके राजनैतिक दिग्दर्शकों में से श्री पुरुषोत्तमदास टंडन, पंडित गोविंदबल्लभ पंत, जवाहरलाल नेहरू इत्यादि प्रमुख हैं। 1929 में इलाहाबाद आने के बाद उन्होंने श्री टंडनजी के साथ भारत सेवक संघ के इलाहाबाद इकाई के सचिव के रूप में काम किया। यहीं उनकी नज़दीकी नेहरू से भी बढी। इसके बाद से उनका कद निरंतर बढता गया जिसकी परिणति नेहरू मंत्रिमंडल मे गृहमंत्री के तौर पर उनका शामिल होना था। इस पद पर वे 1951 तक बने रहे।
शास्त्रीजी को उनकी सादगी, देशभक्ति और इमानदारी के लिये पूरा भारत श्रद्धापूर्वक याद करता है। उन्हे वर्ष 1966 मे भारत रत्न से सम्मनित किया गया।

1.छः साल का एक लड़का अपने दोस्तों के साथ एक बगीचे में फूल तोड़ने के लिए घुस गया। उसके दोस्तों ने बहुत सारे फूल तोड़कर अपनी झोलियाँ भर लीं। वह लड़का सबसे छोटा और कमज़ोर होने के कारण सबसे पिछड़ गया। उसने पहला फूल तोड़ा ही था कि बगीचे का माली आ पहुँचा। दूसरे लड़के भागने में सफल हो गए लेकिन छोटा लड़का माली के हत्थे चढ़ गया।
बहुत सारे फूलों के टूट जाने और दूसरे लड़कों के भाग जाने के कारण माली बहुत गुस्से में था। उसने अपना सारा क्रोध उस छः साल के बालक पर निकाला और उसे पीट दिया।

नन्हे बच्चे ने माली से कहा – “आप मुझे इसलिए पीट रहे हैं क्योकि मेरे पिता नहीं हैं!”

यह सुनकर माली का क्रोध जाता रहा। वह बोला – “बेटे, पिता के न होने पर तो तुम्हारी जिम्मेदारी और अधिक हो जाती है।”

माली की मार खाने पर तो उस बच्चे ने एक आंसू भी नहीं बहाया था लेकिन यह सुनकर बच्चा बिलखकर रो पड़ा। यह बात उसके दिल में घर कर गई और उसने इसे जीवन भर नहीं भुलाया।

उसी दिन से बच्चे ने अपने ह्रदय में यह निश्चय कर लिया कि वह कभी भी ऐसा कोई काम नहीं करेगा जिससे किसी का कोई नुकसान हो।

बड़ा होने पर वही बालक भारत के स्वतंत्रता प्राप्ति के आन्दोलन में कूद पड़ा। एक दिन उसने लालबहादुर शास्त्री के नाम से देश के प्रधानमंत्री पद को सुशोभित किया।

2.सी गाँव में रहने वाला एक छोटा लड़का अपने दोस्तों के साथ गंगा नदी के पार मेला देखने गया। शाम को वापस लौटते समय जब सभी दोस्त नदी किनारे पहुंचे तो लड़के ने नाव के किराये के लिए जेब में हाथ डाला। जेब में एक पाई भी नहीं थी। लड़का वहीं ठहर गया। उसने अपने दोस्तों से कहा कि वह और थोड़ी देर मेला देखेगा। वह नहीं चाहता था कि उसे अपने दोस्तों से नाव का किराया लेना पड़े। उसका स्वाभिमान उसे इसकी अनुमति नहीं दे रहा था।
उसके दोस्त नाव में बैठकर नदी पार चले गए। जब उनकी नाव आँखों से ओझल हो गई तब लड़के ने अपने कपड़े उतारकर उन्हें सर पर लपेट लिया और नदी में उतर गया। उस समय नदी उफान पर थी। बड़े-से-बड़ा तैराक भी आधे मील चौड़े पाट को पार करने की हिम्मत नहीं कर सकता था। पास खड़े मल्लाहों ने भी लड़के को रोकने की कोशिश की।

उस लड़के ने किसी की न सुनी और किसी भी खतरे की परवाह न करते हुए वह नदी में तैरने लगा। पानी का बहाव तेज़ था और नदी भी काफी गहरी थी। रास्ते में एक नाव वाले ने उसे अपनी नाव में सवार होने के लिए कहा लेकिन वह लड़का रुका नहीं, तैरता गया। कुछ देर बाद वह सकुशल दूसरी ओर पहुँच गया।

उस लड़के का नाम था ‘लालबहादुर शास्त्री’
3.एक बार हमारे देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को विदेश यात्रा पर जाना था। उनके पत्नी व पुत्र ने सोचा कि शास्त्री जी के लिए नया कोट बनवा दिया जाए क्योंकि उनका कोट काफी पुराना हो चुका था।

बाजार से एक बढ़िया धारी वाला काले कोट का कपड़ा मँगवाया गया और दर्जी को बुलाकर शास्त्रीजी के सामने खड़ा कर‍ दिया। दर्जी ने शास्त्री जी का नाप लेकर अपनी डायरी में नोट कर लिया और कोट के कपड़े का लिफाफा लेकर जाने लगा तो शास्त्री जी ने उससे धीरे से कुछ कहा। कुछ दिनों पश्चात जब टेलर कोट का लिफाफा लेकर आया तो उसमें से कोट निकाला गया। पर यह क्या? उसमें तो वही पुराना कोट निकला जो शास्त्रीजी पहनते थे। उनकी पत्नी व पुत्र यह देखकर दंग रह गए पर वह दर्जी से क्या पूछते?

दर्जी के जाने के बाद उनके पुत्र ने पूछा - 'बाबूजी यह क्या माजरा है? तो वह मुस्कुराते हुए बोले कि अभी तो मेरा पुराना कोट ही पहनने लायक है। इसलिए वह कपड़ा मैंने वापस करवा कर उन पैसों को जरूरतमंद विद्यार्थियों में बँटवा दिया है। सादा जीवन के साथ ऐसे उच्च विचार थे हमारे शास्त्री जी के
Regards
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Shastri ji -Ek kartavya Nistha Neta

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Nehru Exposed


आजादी के समय प्रधानमंत्री पद के लिये मतदान हुये जिसमें 16 बड़े राज्‍यों के लोगों... ने वोट डाले थे। जिसमें 16 में से 13 वोट सरदार वल्‍लभ भाई पटेल के लिये, 2 लाल बहादुर शास्‍त्री के लिये और 01 वोट मौलाना अबुल कलाम आजाद के लिये था। नेहरू के लिये एक भी वोट नही पढ़ा था। नेहरू को कोई भी हिन्‍दुस्‍तानी प्रधानमंत्री नही बनाना चाहता था। जब नेहरू को पता चला तो वो जाकर गांधी के पास रोया-गिड़गिड़ाया, इसके बाद गांधी ने सरदार पटेल को जाकर समझाया और पटेल तो गांधी के भक्‍त थे सो नेहरू के लिये प्रधानमंत्री की गद्दी छोड़ दी। जिसका परिणाम आज तक हिन्‍दुस्‍तानी भुगत रहा है। ये सब बातें गांधी ने स्‍वयं ही अपने एक किताब में लिख रखी है। किताब का नाम है \'\'द हिडेन साइड ऑफ गांधी Regards RAvi Kasana mob- 9716016510

Wednesday, January 11, 2012

Robert Vadhera Kal or aaj

दोस्तों ये रिपोर्ट इकोनोमिक्स टाइम्स ने छापी है .. तथा 14 -3 - 11 को रात 8 :15 को स्टार न्यूज़ पर एक प्रोग्राम आया " वढेरा का साम्राज्य " जो 30 मिनट का था लेकिन बीच में ही बंद कर दिया गया .. आखिर आज राबर्ट वढेरा के पास खरबों रूपये कहा से आये ??? प्रियंका गाँधी के साथ शादी के पहले उनका बहुत ही छोटा मुरादाबाद में पीतल के बर्तन का बिसनेस था उसमे भी राबर्ट के 5 चाचा तथा 3 भाई भागीदार थे .. आज उन्होंने
हरियाणा में खरबों रूपये की खेती योग्य जमीन अपने रियल एस्टेट प्रोजेक्ट के लिए खरीदी है .. जिसके लिए हरियाणा की कांग्रेस सरकार ने सारे नियम कायदे एक रात में बदल दिए वो भी सिर्फ राबर्ट वढेरा के लिए .. ये कहा तक उचित है ??? आखिर हमारे देश की मीडिया चंद रुपयों में क्यों बिक जाती है ??? मीडिया इस पर कोई प्रोगाम क्यों नहीं दिखता की आज राबर्ट के पास खरबों रूपये कहा से आये ??
NEW DELHI: New Delhi-based entrepreneur Robert Vadra, married into the country 's most powerful family, has made a quiet and relatively unheralded entry into the real estate business, including a partnership with DLF Ltd. India 's largest realty firm. Vadra, the son-in-law of the ruling United Progressive Alliance coalition chairperson Sonia Gandhi , has stayed away from electoral politics, maintaining that he wants to be known as a businessman.

In interviews, he has said that his focus is on Artex , a small company specialising in jewellery and handicraft exports. That seems to be changing as 42-year-old Vadra, known for his punishing fitness regime and love for fast bikes, has sought to scale up and diversify his business activities since 2008, acquiring tracts of land in Haryana and Rajasthan, a 50% stake in a leading business hotel in Delhi, and attempting an entry into the business of chartering aircraft. Regulatory filings available in the public domain and reviewed by ET reporters reveal the changing graph of Vadra 'sbusiness interests. These include wide-ranging transactions with the DLF Group.

Several of his companies have received loans, some unsecured, from DLF group companies, including the Bombay Stock Exchange-listed flagship DLF Ltd.

A JOINT VENTURE AND SOME LOANS

Sky Light Hospitality Pvt Ltd , a company wholly owned by Vadra and his mother Maureen Vadra, is a partner, along with DLF Hotel Holdings and others, in a partnership firm that owns the business hotel Hilton Garden Inn in the upscale South Delhi business district Saket. The hotel is located within the DLF Place mall, also known as DLF Courtyard. "The Hilton Garden Inn Hotel in Saket is a small business hotel.

I have interest in hospitality and am happy to be part of the hotel," Vadra told ET, speaking on the phone from Europe, where he is travelling presently. He said the business association with DLF stemmed from a long-standing friendship with the family that controls the realty giant. "I have known the DLF people for a long time and they are friends of mine. I had wanted to invest in real estate and one thing led to another. Right now, I can only be part of a small hotel.

If I were taking favours from people I would be doing far bigger things. But I am doing this on my own. I can't expand immediately but I hope to expand a few years down the line,

तो फिर भारत = इण्डिया (India ) कैसे देखिये !

हो रहा भारत बर्बाद , जब से भारत का नाम इण्डिया हुआ है तब से भारत पूरी तरह पश्चिमी सभ्यता की और भाग रहा है !

पाकिस्तान = पाकिस्तान

अमेरिका = अमेरिका

अफगानिस्तान = अफगानिस्तान

केनेडा = केनेडा

बंगला देश = बंगला देश

श्री लंका = श्री लंका

जापान = जापान

चीन = चीन

तो फिर भारत = इण्डिया (India ) कैसे देखिये !

भारत जब अंग्रेजों का गुलाम था तब उन्होंने भारत का नाम बदल कर British India रख दिया था !

उसके बाद आज तक भारत एक समझोते के तेहत अपने आप को इण्डिया ही बोलता है और हमारा इण्डिया इन लड़कियों में बस्ता है और पश्चिमी सभ्यता में बस्ता और भारत संस्कार और संस्कृति में बस्ता है आप सभी से अनुरोध है की इण्डियन ना बनकर भारतीय बने नहीं तो इन्ही लड़कियों की तरह चरित्रहीन ही बनके रह जायेंगे या थोड़े दिन बाद स्लाट वाक् करते नज़र आयेंगे देश बर्बादी की और है ! Be Bhartiya , भारतीय बने और अपनी संस्कृति को इन इण्डियन अंग्रेजों से बचाएँ !

इण्डिया के इतिहास के बारे में और अधिक जानकारी पाने के आप ईस्ट इंडिया कम्पनी का भारत पर अत्याचार और शोषण के बारे में पढ़ें और हमने क्यों उन्हें भगाया था ये सब जानते हैं , वैसे ही अब इन इण्डियन को भारतीय बनाना है और विदेशियत को भगाना है !

वन्देमातरम , भारत माता की जय हो , वन्दे गौ मातरम , जय श्री राम , जय श्री कृष्ण , जय भारतीय , जय हो

Go mata ki ye durdasha wo bhi bharat me.



Go mata ki ye durdasha wo bhi bharat me......ab jaye to jaye kaha ..
Chalo aao ham ya to go mata ko bachaye..ya samuhik atmahatya kar lete he..ram krishna desh me.

ये गाय के प्रति प्यार हमारा.


ये गाय के प्रति प्यार हमारा..... अगर अछा लगे तो LIKE कीजिये... इस फोटो में यह बच्चा इन महोदय का हे...... ब्रिजिश शिंह का हे जिनकी प्रोफिल यहाँ निचे हे...

Hey Mere Raam


मायावती ने यू॰पी॰ मे 8 अत्याधुनिक कत्लखाने के लिए जो टेंडर मंगवाएँ है उसमे ऐसी मशीनों का प्रयोग होगा जो 1 दिन मे हजारो मवेशियों की 'हत्या' करेगी एक ऐसी मशीन है जिसमे पशु को एक संकरी गली मे घुसेड़ा जाता है और आखिरी सिरे पर एक दर्पण होता है मवेशी उसे छूने के लिए जैसे ही अपना सिर अंदर करता है मशीन उसकी गर्दन को जकड़ लेती है और तुरंत उसका सिर धड़ से अलग हो जाता है - विपिन राजाजी
क्या आपको पता है की उत्तर प्रदेश में 15 कत्लखाने खोलने की अनुमति चीफ मिनिस्टर ने दी है जहां एक कत्लखाने में एक दिन में 10000 (दस हजार) जानवरों को कटा जायेगा तो एक दिन में 15 कत्लखानों में 1,50,000 जीवों की हिंसा होगी अगर आप जीव दया प्रेमी हैं तो इस MSG को इतना विस्तार दो कि सभी इसके समर्थन में खड़े हो जाएँ और C.M. को अनुमति वापस लेनी पड़े (अहिंसा परमो धर्मं)

Nehru ki Kayanaat


आज आप सभी के चाचा नेहरू का जन्म दिन हे जिसे बाल दिवस कह के मनाया जाता हे.... क्या नेहरू जी ने बच्चों के लिए कुछ किया..... तो हम बाल दिवस किस खुसी में मनाये..... मुझे बाल दिवस मानाने का कोई कारन नजर नहीं आता...

Om Namay Shivay



Om Namay Shivay

Jai Gau Mata



Jai Gau Mata