Holi ke iss rango ke tiyohaar mien aapke sab dukh dard jal jaayein, Aur kal ki rangpanchmi k saare rang aapke jeevan ko khushiyon se bhar jaayein.......
Holi ke iss pawan avsar per agar hum Bhagwan Bhakt Prahlad ko yaad na kare to bada ouchitya hoga , to Aaye iss rango ke bela par iss mahan sakshiyat ko yad karke iske mahima ka Gungaan kare: Jai Ho shree Bhagwan Bhakt Prahlad ki..!
@सभी मित्रों, को रंगों के पावन त्यौहार होली की हार्दिक शुभकामनाएं।
होली का त्यौहार ऋतुराज वसंत में आता है जब सर्दी का अंत और ग्रीष्म का आगमन होता है। इस समय ऋतु-परिवर्तन से चेचक के रोग का प्रकोप कम करने के लिए पुराने समय में टेसू के फूलों का रंग बनाकर एक-दूसरे पर डालने की प्रथा चलाई गई थी और यज्ञ की सामग्री में भी इन्हीं फूलों की अधिकता रखी गई थी जिससे वायु में उपस्थित रोग के कीटाणु नष्ट हो जायें। इतना ही नहीं आज यह प्रथा बहुत विकृत हो गई है और नवयुवक बुरे-बुरे रंग घृणित मानसिकता के साथ एक दूसरे पर डाल देते हैं, जिससे अनेक बार खून-खराबी की नौबत तक आ जाती है और रंग की होली के बजाय खून की होली दिखलाई पड़ने लगती है। यह मूर्खता की पराकाष्ठा है, और ऐसे लोग-त्यौहार मनाने की बजाय देश तथा धर्म की हत्या करते हैं। होली त्यौहार है पुराने गिले-शिकवे भुला कर इस दिन सब लोग प्रेम से गले मिल लेते थे और पुरानी गलतियों के लिए एक-दूसरे को क्षमा करके फिर से मित्र सहयोगी बन जाते थे अब भी इस दिन एक-दूसरे के यहाँ मिलने को जाते हैं, पर प्रायः नशा करके गाली बककर झगड़ा पैदा कर लेते हैं, जो होली के उद्देश्य के सर्वथा प्रतिकूल है। जिस प्रकार होली के पौराणिक उपाख्यान में बतलया गया है कि सच्चे भक्त प्रहलाद् ने असत्य और अन्याय का प्रतिरोध करके सत्य की रक्षा की थी और उसी की स्मृति में होली के त्यौहार की स्थापना की गई थी, उसी प्रकार हम भी यदि इस वास्तविक उद्देश्य का ध्यान रखकर होली का त्यौहार मनायें तो इस अवसर पर वर्तमान समय में होने वाली अनेक हानियों से बचकर इस त्यौहार को लोक कल्याण का एक प्रमुख साधन बना सकते हैं। आप सब खुश रहें और सुखी रहें इस प्रार्थना के साथ होली आपके लिए मंगलमय हो।
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