प्रधानमन्त्री जी नमस्ते
हमारे हाथ में खाली कटोरा
आपकी प्लेट में काजू, बादाम और पिस्ते
प्रधान मंत्री जी नमस्ते
आप अर्थशास्त्री, ज्ञानी और
गुणवान
एक प्रश्न का उत्तर
सीधा सा दीजिए श्रीमान
एक गरीब के सात बच्चे
भूख, गरीबी और रोग से लड़कर
आखिर में कितने परसेंट हैं बचते
प्रधानमंत्री जी नमस्ते
धन काले की
होगी बात बाद में
पहले सफ़ेद तो दिखाओ
हम निर्धनों के हाथ में
दो रोटी और एक लंगोटी तक ही
सिमित हैं हमारे खर्चे
प्रधानमन्त्री जी नमस्ते
घोटालों से बने ‘राजा’ आपके
नित करते मंगल
अजब खेल पेट में हमारे
चूहों का हो रहा दंगल
बिक रहें करोड़ों में क्रिकेटर
हम दो कौड़ी से भी सस्ते
प्रधानमंत्री जी नमस्ते
राष्ट्र कमंडल के धन से तो
बेईमानों की भरती ‘अलमारी’
पर किस नियम ‘आदर्श’ से
पुश्तेनी झोंपड़ों पर कब्जे हुए सरकारी
मोबाइल, लैपटॉप के इस युग में
अब भी टॉपलेस हम विचरते
प्रधानमंत्री जी नमस्ते
हम बेअर्थों के अस्तित्व से ही
अर्थतंत्र आपका हिला हुआ
‘आउट’ गरीबी को करने अम्पायर
अमीरों से मिला हुआ
खुले छोड़े कॉर्पोरेट मुर्गे आपने
दाल समझ कर जो हमें चुगते
प्रधानमंत्री जी नमस्ते
महंगाई डायन की मार से
दो ही तो हैं अछूते
एक चांदी की चोंच वाले गिद्ध
और दूसरे हम कुत्ते
फिर क्यों रोनी सूरत आपकी
और हम हैं हँसते
प्रधानमन्त्री जी नमस्ते
हमारे हाथ में खाली कटोरा
आपकी प्लेट में काजू, बादाम और पिस्ते
प्रधान मंत्री जी नमस्ते
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