लाशें देख रहा हूँ, शमशान देख रहा हूँ
आग देख रहा हूँ, जला मकान देख रहा हूँ
सिसक सिसक कर रो रही ज़िन्दगी यहाँ
हर तरफ दहशत का जहान देख रहा हूँ
शहर का शहर बना वीरान देख रहा हूँ
अपनों के खून से सना मैदान देख रहा हूँ
क्या क्या नहीं देख रहा अब मत पूछ मुझसे
सूनी नजरो से घायल हिंदुस्तान देख रहा हूँ
चंद सिक्को में बिकता ईमान देख रहा हूँ
लोगो का पेट काटते झूठे बेईमान देख रहा हूँ
कैसा करिश्मा है देखो इस अंधे कानून का
कुर्सियों पर चोरो को विराजमान देख रहा हूँ
इक दूजे का गला काटते हिन्दू मुसलमान देख रहा हूँ
धर्म के नाम पर जलते गीता कुरान देख रहा हूँ
क्या क्या नहीं देख रहा अब मत पूछ मुझसे
सूनी नजरो से घायल हिंदुस्तान देख रहा हूँ
Ravi Kasana
vill & Po- Jawli,Ghaziabad
ravikasana_1984@yahoo.com
mob-9716016510
No comments:
Post a Comment