Sunday, March 6, 2011

Kasaab


नौ लाख प्रति दिन के हिसाब से 45 करोड़ ..सरकारी खर्च ..कसाब के ऊपर ....और तब जाकर सज़ा -ए -मौत ..कौन कहता है हम गरीब देश की श्रेणी में आते हैं ..? यहाँ तो हम मौत के सौदागरों पर इतना न्योछावर कर देतें हैं ....

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