Monday, October 3, 2011

बाबा का संग्राम



तम्बू गाढ़ के जब दिल्ली में, बैठ गए थे बाबा|
कांप उठी पीएम की कुर्सी, राज काज थर्राया ||

पहले तो प्रलोभन देकर, बाबा को चाहा फ़साना|
पर जब ना माने तो शासन ने, बुन लिया ताना बाना||

आधी रात गए सेना ने, ऐसा कहर था ढाया|
जिसे देखकर जलिया वाला, कांड भी था शर्माया ||

औरत के वस्त्रों में छुपकर, बाबा वहां से भागे|
हर शख्स ने सोचा, जाने अब क्या होगा आगे ||

बाबा पर प्रतिबन्ध लगाया, ना दिल्ली में आयें |
दिल्ली से बाहर ही रहकर, अपना योग सिखाएं ||

जैसे ही प्रतिबन्ध हटा बाबा फिर दिल्ली आये|
पहले मिले समर्थक से, फिर शासन पर गुर्राए ||

बोले यह सरकार, जो पहले है भ्रष्टाचारी|
अब तो और भी खतरनाक है, बन गई अत्याचारी ||

लेकिन ना मैं डरा था पहले, ना ही कभी डरूंगा|
भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़े, हर शख्स के साथ लडूंगा ||


2.चली हजारे की आंधी,
फिर रामदेव ने किया प्रहार.

कुछ ना बना तो सत्याग्रह पर,
करने लगी ज़ुल्म सरकार,

जो भी हो पर देख के सबकुछ,
इतना हम कह सकते हैं,

देखके जागती जनता को, .
ज्यों काँप उठा है भ्रष्टाचार

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