Tuesday, October 4, 2011

दुनिया के मेले में क्या नहीं बिकता ?


दुनिया के मेले में क्या नहीं बिकता ?

बात दो दिन पुरानी है मैं हमेशा की तरह अपने ऑफिस से घर पहुंचा सुबह के 6 बज रहे थे आप लोगों के मन में डाउट की बिल्ली म्याऊं म्याऊं करे उसके पहले ही बता दूँ मैं रात में वेबसाइट अपडेट करता हूँ और दिन में घोड़े बेचकर सोता हूँ.

खैर मैंने अख़बार उठाया और उसका स्पोर्ट पेज खोला उस पर एक खबर छपी थी 'फिर होगी खिलाडियों की नीलामी' मेरे लिए खबर नयी नहीं थी लेकिन मेरे अंतर्मन को यह बात खटक गयी.मैं उसी तल्लीनता से खबर पढ़े जा रहा था कि अचानक मैं चौंका मेरे बाजू में मेरा ही कोई हमशक्ल बैठा हुआ था.

मुझे कुछ डर महसूस हुआ मैं वहां से खिसका लेकिन यह क्या वो भी मेरे साथ - साथ ऐसे खिसका जैसे मेरे परछाई हो. मैं और डर गया.मैंने सोचा चलो यहाँ से उठकर ही चलना चाहिए और मैं वहां से उठा लेकिन यह क्या उसने मेरा हाथ पकड़कर ऐसा झटका दिया कि मैं यथास्थिति जा पंहुचा.
मैं कुछ बोलूं उसके पहले वही बोल पड़ा मुझसे भागकर कहाँ जाओगे मैं कोई इंसान नहीं जिससे डर कर भाग जाओगे मैं हूँ तुम्हारा अंतर्मन मेरे कुछ सवालों के जवाब दे दो फिर मैं खुद ही चला जाऊंगा.

मैंने कहा ठीक है बोलो.वह बोला यह बताओ दुनिया में इंसान भी बिकते हैं क्या ?मैंने कहाँ हाँ कभी कभी इंसान भी बिक जाया करते हैं .तो वह बोला तुम तो नहीं बिके अब तक .मैंने कहा कभी कभी नहीं भी बिकते हैं .

वह बोला अच्छा है फिर क्या - क्या बिकता है .मैंने कहा यह दुनिया एक मेला है और यहाँ सब कुछ बिकता है पहले लोग सब्जी भाजी बेचकर अपने काम चलाते थे , हीरे मोती बेचते थे , अनाज बेचते थे , बर्तन बेचते थे.लेकिन भैया यह पेट की भूख नहीं है (कुछ मजबूर लोगों को छोड़कर) लालच की भूख है जितनी बुझाने की कोशिश करो बढती जाती है और लोगों ने खून बेचना शुरू किया फिर किडनी , दिल और यहाँ तक कि अपना शरीर भी .लेकिन जब लगा कि टुकड़ों में बेचने से इतना फायदा तो क्यों ना पूरा का पूरा इंसान ही बेच दिया जाये और फिर बड़े बड़े अभनेता , अभिनेत्री, नेता आदि बिकने लगे .

जब सब बिकने लगे तो खिलाडी क्यों पीछे रहते वे भी बिकने लगा . मतलब सीधा सा है अब इंसान भी बिकने लगा है .मैंने अपनी बात खत्म करके जैसे उसकी ओर देखा वह मुझे अजीब सी नज़र से देख रहा था मुझे फेर डर लगा मैंने कहा - ए भाई ऐसे क्यों देख रहा है. वह जोर जोर से हंसा , मुझे और डर लगा मैंने फिर पूछा भाई बता दे मुझे बहुत डर लग रहा है वह बोला मैं इसलिए हंस रहा हूँ कि एक दिन तू भी बिक जायेगा.

मैं मुस्कुराया और बोला नहीं रे मैं एक आम आदमी हूँ और आम आदमी कि दुनिया में कोई कीमत नहीं .मैं नहीं बिकूंगा .उसने कुछ राहत कि सांस ली और बोला ठीक है अब मैं चलता हूँ लेकिन याद रखना यदि तू बिकने लगे तो मुझे पहले बाहर निकाल देना .और वहां से चला गया लेकिन मैं यही सोचता रहा कि जब मैं बिकूंगा तो इसे बाहर कैसे निकाल पाऊंगा......

Regards
Ravi Kasana
Manager-Technical
Delhi Transport Corporation
vill & Po- Jawli,Ghaziabad
mob-9716016510

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