आम आदमी
मुझको ना समझो मामूली,
मैं तो हूं एक आम आदमी,
मैंने काम किये हैं सारे,
समझो ना नाकाम आदमी |
बड़े बड़े जो सेठ खड़े हैं ,
तान के अपना पेट चले हैं.
उनसे पूछो बने वो कैसे,
वो हैं मेरे परिणाम आदमी |
सिंहासन पर जो बैठा है,
सत्ता मद में जो ऐंठा है,
मैंने ही है उन्हें बनाया ,
बिन मेरे वो बेदाम आदमी |
हो कहीं कतार राशन की,
या हो कहीं भीड़ भाषण की,
दंगल में जंगल में सब में,
भटकता मैं परेशान आदमी |
मुझसे बनी है सारी सृष्टी
मेरे बिना क्या किसकी हस्ती,
मुझे भीड़ में सभी है गिनते ,
फिर भी खुश हूं मैं आम आदमी|
मुझमे एक कमी है भारी,
मैं खुद हूं अपनी लाचारी,
औरो को मैं बनाने वाला ,
पर खुद से अंजान आदमी |
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