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भाइयो ये कविता AP J Abdul कलाम जी के नाम...जिन्होंने देश को इतना कुछ दिया की मुझ नाचीज के पास शब्द कम पड़ गए है,,,फिर भी एक कोशिश मेरी कविता" नयी हवा का एक सलाम आया है".........
खौले से लहू का जाम आया है
नयी हवा का एक सलाम आया है
दर दर की ठोकरों में है ये देश साथियो
उसे उठाने एक कलाम आया है...
बेचता था जो कभी अखबार दोस्तों,
आज अखबारों में उसका नाम आया है.....
मन की लगन विश्वास और कर्म ही कहो
वो राष्ट्रपति के पद के काम आया है....
हूँ"प्रभात"साथ तेरे थाम लूँगा हाथ
कलाम जी का ये पैगाम आया है
दर दर की ठोकरों में है ये देश साथियो,
उसे उठाने एक कलाम आया है...
उसे उठाने एक कलाम आया है......
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