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मां-बाप की आंखो में,दो बार आंसू आते है,
लडकी घर छोडे तब,लडका मुंह मोडे तब.
माता-पिता की पूजा करके मनुष्य जिस धर्म का साधन करता है,वह इस पृथ्वी पर सैकडो यज्ञो तथा तीर्थयात्रा आदिके द्वारा भी दुर्लभ है.पिता धर्म है,पिता स्वर्ग है और पिता ही सर्वोत्कृष्ट तपस्या है.पिताके प्रसन्न हो जाने पर संपूर्ण देवता प्रसन्न हो जाते है.जिसकी सेवा और सद्गुणो से पिता-माता संतुष्ट रहते है,उस पुत्रको प्रतिदिन गंगास्नान का फल मिलता है.माता सर्वतीर्थमयी है और पिता संपूर्ण देवताओ का स्वरूप है,इसलिये सब प्रकारसे यत्नपूर्वक माता-पिता का पूजन करना चाहिए.जो माता-पिता की प्रदक्षिणा करता है,उसके द्वारा सातो द्विपो से युक्त समूची पृथ्वी की परिक्रमा हो जाती है.माता-पिता को प्रणाम करते समय जिसके हाथ ,मस्तक और घुटने पृथ्वी पर टिकते है,वह अक्षय स्वर्गको प्राप्त होता है.जब तक माता-पिता के चरणो की रज पुत्रके मस्तक और शरीरमें लगती रहती है,तभीतक वह शुद्ध रहता है.जो पुत्र माता-पिता के चरण-कमलो का जल पीता है,उसके करोडो जन्मोके पाप नष्ट हो जाते है.वह मनुष्य संसार में धन्य है......जो नीच पुरुष माता-पीता की आज्ञाका उल्लंघन करता है,वह महाप्रलय पर्यंत नरकमें निवास करता है.जो रोगी,वृद्ध ,जीविका से रहित,अंधे और बहरे पिताको त्यागकर चला जाता है.,वह रौरव नरकमे पडता है.इतना ही नही,उसे अन्त्यजो,म्लेछो और चाणडालो की योनिमे जन्म लेना पडता है.माता-पीता का पालन-पोषण ना करने से समस्त पुण्योका नाश हो जाता है.माता-पीता की आराधना ना करके पुत्र यदि तीर्थ और देवताओ का भी सेवन करे तो उसे उसका फल नही मिलता.
Regards
Ravi Kasana
Manager-Technical
Delhi Transport Corporation(DTC)
Vill & Po- Jawli,Ghaziabad
mob-9716016510
Wo bhi kya din the 'MUMMY' ki goad,or 'PAPA' k kandhe,
ReplyDeletena paise ki soch, na life k funde,
na kal ki chinta,na future k sapne,
ab kal ki hai fikar, or adhure h sapne,
mudkar dekha to bahut dur h apne,
manjil ko
dhundte hum kaha kho gaye,
kya hum itne bade ho gaye...? ?