Saturday, September 10, 2011

क्या बाबा रामदेव द्वारा भेष बदलना कायरता थी...?


क्या बाबा रामदेव द्वारा भेष बदलना कायरता थी........?
बड़े उद्देश्य के लिए अपने प्राणों की रक्षा करना , उसके लिए बेश बदलना, मैदान छोड़ कर कभी पीछे भी हटना , ये बुद्धिमानी की रण-नीति है. भगवान् श्री कृष्ण ने जरासंध से मुकाबला न करके खुद को रणछोड़ कहलवाया और बाद में जरासंध को भीम के हाथों मरवा दिया I लाक्षाग्रह से पांडव अपनी माता कुंती सहित भेष बदल कर निकल गए और बाद में क्या किया, ये सब को पता है I महाराणा प्रताप सिंह के हल्दी घाटी के युद्ध में घायल हो जाने के बाद , झाला सरदार द्वारा उनकी जगह लेना और महाराणा प्रताप का सुरक्षित निकल जाना और बाद में महाराणा प्रताप द्वारा फिर विजय प्राप्त करना आदर्श रणनीति मानी जाती है I छत्रपति शिबाजी द्वारा मिठाई के टोकरों में बैठ कर छुप कर निकल जाना और उस के बाद मुग़लों को सबक शिखा कर हिन्दू साम्राज्य की पुनरस्थापना करना , भला कोई भूल सकता है I आजादी की लड़ाई में सरदार भगत सिंह, दुर्गा भाभी, शहीद उधम सिंह, चन्द्र शेखर आजाद....... आदि का भेष बदल कर निकल जाना और बाद में जालिम अंग्रेजों को मुहतोड़ जबाब देना कोई कायेरता नहीं थी बल्कि सफल रणनीति थी दरअसल इस बात को मुद्दा केबल बही लोग बना रहे हैं जो उस दिन बाबा रामदेव को जान से मार देना चाहते थे और बाबा की बुद्धिमानी से उनकी योजना फेल हो गयी I और अब बो इस बात से डरे हुए हैं कि उनका बार तो बिफल हो गया और अब बारी उनके बार झेलने की है I उस दिन अगर बाबा भेष बदल कर नहीं निकलते तो पुलिस के हाथों बाबा को मरवा देना था और खबर यह आनी थी कि पंडाल में भगदड़ मचने पर भीड़ के द्वारा कुचल जाने से बाबा की मौत हो गयी I


regards
Ravi Kasana
Manager-Technical
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