Friday, September 9, 2011

वे भयंकर भूलें


वे भयंकर भूलें ...........

* महाराजा रणजीत सिंह के कालखंड में कश्मीर
के मुसलमानों ने अनुरोध किया कि वे अपने पूर्वजों के हिन्दू धर्म में लौटना चाहते
हैं. महाराजा ने इसे स्वीकार भी कर लिया. जिस दिन मुसलमानों कि सामूहिक शुद्धी कि
जनि थी, कुछ संकीरण विचारों के पंडित महाराजा के पास ए और कहा कि शुद्धी हुई तो वे
सब आत्महत्या कर लेंगे तथा महाराजा को ब्रम्हहत्या का पाप लगेगा. महाराजा इस धमकी
के आगे झुक गए और कश्मीर घाटी के मुस्लिम समाज को राष्ट्रिय धारा में लाने का
स्वर्णिम अवसर चला गया.
* देश के विभाजन के समय जिन्ना कश्मीर को भारत में
मिलाना चाहता था. महाराजा हरी सिंह ने उसका प्रस्ताव ठुकरा दिया तो कबाइलियों के
वेश में पाकिस्तानी सेना ने कश्मीर पर आक्रमण कर दिया. २६.१०.१९४७ को महाराजा ने
कश्मीर का भारत में विलय करने का पत्र लिख दिया, तो भारतीय सेना अपने इस अंग के
बच्व में उतरी. पाकिस्तानियों के छक्के छुडाते हुए हमारे सभी जवानों ने आक्रान्ताओं
को पीछे धकेलना शुरू कर दिया, तभी ०१.०१.१९४८ को तात्कालिक प्रधानमंतरी पंडित जवाहर
लाल नेहरू इस मामले को यु.एन.ओ. में ले गए. यह दूसरी भयंकर भूल थी,

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