Friday, September 9, 2011

आज हर भारतवासी की तरह मै भी व्यथित हूँ

वन्दे मातरम !!
आज हर भारतवासी की तरह मै भी व्यथित हूँ, और यह सोचने पर मजबूर हूँ की कैसे कोई व्यक्ति और विशेषकर वह व्यक्ति जो सर्वाधिक आतंकी गतिविधियों से पीड़ित प्रदेश का मुखिया है, आतंकवादियों की फांसी की सजा को माफ़ करने की बात कर सकता है......आज एक आम भारतीय होने के नाते मै इस विचार का विरोध करता हूँ और मुझे यह कहने में कतई संकोच नहीं है की इस प्रकार की बात करने वाले लोगों पर शासन प्रशासन कोई कार्यवाही करे न करे पर जनता ऐसी भावनाओं और इस गुहार को तो कतई स्वीकार नहीं करेगी !!
मै अपनी भावनाएं इस कविता के माध्यम से आपके समक्छ व्यक्त करना चाहता हूँ की :-

देखो कैसा समय है आया, आतंकी ने भी एप्रोच लगाया,
और उमर {उमर अब्दुल्ला} ने चेहरा असली दिखलाया..

करता है गुहार वह, माफ़ करो अजमल अफज़ल को,
गुहार पर धित्कार है, लगता है चल रहा लाशों का व्यापार है..

कैसे माफ़ करें हम मासूमों के हत्यारों को,
छिना है जिसने हमसे हमारे प्यारों को..

भूल गए क्या संसद पर हमला, हमलों से मुंबई जब दहला,
कश्मीर निशाने पर रहता सदा है क्या यह भी भूल गए अब्दुल्ला..

फांसी पर चढाओ पहले जो इनका समर्थक है,
कहता है जो फांसी देना आतंकी को निरर्थक है..........!!
अगर आप मेरी भावनाओं से सहमत हैं तो कृपया अपनी प्रतिक्रिया अवश्य देवें!!

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