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Thursday, September 29, 2011
भगत सिहं क़ी आख़िरी इच्छा जो आजतक पुरी नहीं हुई !!
Shaheed Bhagat Singh
भगत सिहं क़ी आख़िरी इच्छा जो आजतक पुरी नहीं हुई । 1857 से पहले भारत में अंग्रेजो की पुलिस नहीं थी ।सेना हुआ करती थे |
और अगर आप लोगो को पता हो 10 मई 1857 को भारत में क्रांति हो गई थी.
उस समय के जो महान क्रन्तिकारी थे , उनका नाम था. नाना साहब,तात्याँ टोपे, Dhansingh Kotwal आदि. इन्होने 7 लाख 32 हजार युवको की फ़ौज बनाई थी |
और 10 मई 1857 को क्रांति करने का दिन चुना | उन्होंने 1 ही दिन में 2.लाख 50 हजार अंग्रेजो को काट डाला अंग्रेज भाग खड़े हुए |
उसके लगभग 1 साल बाद अंग्रेजो ने भारत के कुछ गद्दार राजाओ के साथ मिल फ़िर से वपिस आने की योजना बनाई. जिसमे
(कैपट्न अमरिंद्र सिहं ज़ो पंजाब के कांग्रेस की सीट पर मुख्य मत्रीं का चुनाव लड़्ते है जो काफ़ी बार मुख्य मत्रीं भी रह चुके हैं.)
उसके दादा पटियाला के नवाब के साथ मिल कर 1857 के क्रंतिकरियो का क़त्ल करवाया और दुबारा भारत में अंग्रेजों को घुसाया गया !
अंग्रेजो ने दुबारा जब भारत में प्रवेश किया तो सोचा की कही दुबारा क्रांति ना हो जाये. इसके लिए उन्होने इंडियन पुलिस एक्ट INDIAN POLICE ACT
और हम पर अत्याचार करने के लिए 34735 चौंतीस हज़ार सात सो पेंतीस कानून बनाये गए जिसमे की पुलिस के हाथ में लाठी और डंडे
हथियार सौंप दिए गए और ये सभी अधिकार उन्हें मिल गए,
की के अंग्रेजो की पुलिस क्रांतिकारियों पर जितने चाहे मर्जी डडें मारे. लठियो से पिटे कोई कुछ नहीं कर सकता और अगर किसी क्रन्तिकारी ने
अपने बचाव के लिये उसकी लाठी पकड़्ने की कोशिश मात्र भी की तो क्रांतिकारियों पर मुकदमा चलेगा |
बात उस समय की है की जब इन कानूनों को बढ़ावा देने के लिए SIMON COMMISSION भारत आ रहा था और उसका बहिष्कार करने के लिए
क्रन्तिकारी लाला लाजपत राय जी आन्दोलन कर रहे थे वो शांतिपूर्वक तरीके से आन्दोलन कर रहे थे तभी एक अंग्रेज अधिकारी जिसका नाम J.P. Saunders जे.पी. सॉन्डर्स था उसने लाला जी पर लाठियां
बरसानी शुरू कर दी और जानबूझकर उसने लाला जी के सर पे लाठियां मारी 1 लाठी मारी 2 मारी 3 मारी 4 मारी 5 , 10 ऐसे करते करते उस दुष्ट ने लाला जी पर 14 लाठियां मारी खून बहने लगा ! और उनकी मृत्यु हो गई !
अब कानून के हिसाब से सॉन्डर्स क़ो सज़ा मिलनी चाहिए इसके लिये भगत सिहं ने पुलिस में शिकायत दर्ज की. मामला अदालत तक गया वहां भगत सिहं ने सफ़ाई दी |
लाठिया कमर के नीचे तक मारी जा सकती लेकिन लाला जी के सर पर लाठियां क्यों मारी गयी | जिससे उनकी मौत हुई, अदालात ने उनका तर्क नहीं माना और अदालत ने कहा सॉन्डर्स ने जो किया वो तो कानून में हैं ! उसने कोई कानून नहीं तोड़ा. इसलिये उसको बरी किया जाता है
और सॉन्डर्स बरी हो गया भगत सिहं को गुस्सा आया | उसने कहा जिस अंग्रेजी न्याय व्यवस्था ने लाला जी को इन्साफ़ नहीं दिया |
और सॉन्डर्स को छोड़ दिया | उसको सज़ा मैं दूंगा और सॉन्डर्स को वहीं पहुंचाउंगा जहाँ इसने लाला जी को पहुँचाया है | और भगत सिहं ने सॉन्डर्स को गोली से उड़ा दिया |
जब भगत सिहं को फ़ासीं होने वाली थी तो उससे कुछ दिन पहले वो लाहौर की जेल में बंद थे | तब कुछ पत्रकार उनसे मिलने जाया करते थे |
तब एक पत्रकार ने भगत सिहं से पुछा आपका देश के युवको के नाम संदेश | तब भगत सिहं कहा की मैं तो फ़ासीं चढ़ रहा हूँ | लीकेन देश के नोजवानो को कहना चाहता हूँ |
जिस इंडियन पुलिस एक्ट INDIAN POLICE ACT अंग्रेजों द्वारा बनाये गए कानून के कारण लाला जी हत्या हुई | और जिसके कारण मैं फ़ासीं चढ़ रहा हूँ.,
देश नोजावानो को कहना चाहता हूँ. कि आजादी मिलने से पहले पहले किसी भी हालत में इस इंडियन पुलिस एक्ट INDIAN POLICE ACT को खत्म करवा देना |
यही मेरी दिली इच्छा हैं | मेरे देश के प्रति मेरी भावना हैं|
लेकिन आज तक वोही कानून आज तक चल रहे हैं कितने शर्म की बात है. आजादी के 64 साल बाद भी इस इंडियन पुलिस एक्ट INDIAN POLICE ACT को खत्म नहीं किया गया |
आज भी आप अकसर सुनंते हो पुलिस ने लाठी चार्ज किया | कभी किसाने के उपर जो अपनी जमीन माँग रहे होते हैं| कभी ग़रीब लोगो के उपर जो अपना हक़ मांग रहे हैं |
सबसे ताजी घटना तो 4 जून 2011 की काली रात है जहाँ बड़े ही शांतिप्रिय तरीके से स्वामी रामदेव जी विदेशों में जमा काले धन को देश में वापस लाने के लिए और इस भ्रष्ट व्यवस्था में परिवर्तन लाने के लिए अपने सहयोगियों के साथ आन्दोलन कर रहे थे |
और बड़े शर्म की बात है की दिल्ली पुलिस ने रात के लगभग 1 बजे सोते हुए मासूम लोगों पर बच्चों पर महिलाओं पर साधुसंतों पर लाठियां बरसानी शुरू कर दी पता नहीं कितने लोगो के हड्डियाँ टुटी और घायल हो गये |
इसी घटना में बहन राजबाला जी पुलिस की इस बर्बरता की शिकार हो गई और पुलिस ने उनपर जम कर लाठियां बरसाईं 26 सितम्बर 2011
सोमवार को उनका देहांत हो गया पुलिस की लाठियों का शिकार होकर बहन राजबाला वेंटिलेटर पर थी और उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए
क्या यही है हमारा कानून क्या यही न्याय है ! क्यों ऐसा हुआ 04 जून को ये सब इसलिए हुआ की आज भी अंग्रेजों द्वारा बनाये गए कानून का
इस्तेमाल ये काले अंग्रेज मासूम लोगों पर कर रहे हैं और आज भी इनके हाथों में लाठियां हैं क्योंकि आज भी 1860 में बनाया गया इंडियन पुलिस एक्ट INDIAN POLICE एक्ट आज वैसा का वैसा ही इस देश में चल रहा है !
और ये काले अंग्रेज हम पर अन्याय कर रहे हैं ! और यह केवल 1 कानून नहीं ऐसे पुरे के पुरे 34735 चौंतीस हज़ार सात सो पेंतीस अंग्रेजों के कानून जो अंग्रेजो ने भारत को गुलाम बनाने के लिये बानाये थे| आज भी वैसा ही चल रहा है |
भगत सिहं की आखरी इच्छा आज तक पूरी नहीं हुई | पता नहीं हर साल हम किस मुहं से उसका जन्म दिवस मनाते हैं| पता नहीं किस मुहं से 23 मार्च को उसको श्रध्दाजलि अर्पित करते हैं| जिस क्रूर अंग्रेजों द्वारा बनाये गए कानून के कारण लाला जी की जान गयी|
जिस कानून के कारन भगत सिहं फांसी पर चढ्या गया | और आजादी के 64 साल बाद भी हम उस कानून को मिटा नहीं पाये | बड़े शर्म की बात है हमारे लिए जिन लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दे कर हमें आज़ादी दिलाई आज वो ही क्या कहते होंगे की ये मेरी अंतिम इच्छा तक नहीं पूरी कर पाए लानत है भारत के नौजवानों पर जो आज भी अंग्रेजों के गुलाम हुए बेठे हैं !
और एक क्रन्तिकारी जिसने हँसते हँसते अपने प्राणों की आहुति दे दी और उनके कुछ बहुत याद किये जाने वाले गीत कविता , मेरा रंग दे बसंती चोला और खून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्किल में है सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है ! क्या आज हमारा देश खतरे में नहीं है क्या, क्या आज हमारे देश को जागना नहीं चाहिए ????
http://www.youtube.com/watch?v=Uk4uPYswRGk&feature=share
http://www.youtube.com/watch?v=0lCHWnYjJog&sns=fb
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l भगत सिंह के साथ साथ ,चंद्रशेखर आजाद ,राज गुरु ,सुखदेव भी राष्ट्र के लिए एक मिसाल हैं...आज के युवाओं को इनसे प्रेरणा लेनी चहिये...वन्दे मातरम
ReplyDeleteEk saccha desh bhakt jisne desh ke liye jeevan kurban kar diya ... Bhagat sigh ko mera barmh bar parnam
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